बैठे बैठे सोच रहे है, क्या लिखे आज हम!
जिस पर लिखने बैठे है, उसे समझ ही नहीं पाए अभी तक हम!!
जब टीचर ने रिजल्ट पकडाया, तब पता न था की अभी और है!!
इस इक्जाम में मिलता कुछ नहीं, बस कटते ही कटते है!!
सोच कर बैठे थे की देखे, किस में कितना है दम,
पता चला कोई और नहीं, हम ही है सबसे कम!!
माँ-बाप की दुआ रंग लायी, हम जैसे निकमो को नौकरी हाथ आई!
सोचा अब तो यह दुनिया हमारी,
पता न था बैठना पड़ेगा बच कर की कोई कुर्सी न ले हमारी!!
खुद को समझे पन्ना, घिस घिस कर नीखरेगे!
और बन गए पान, लोग चबा चबा कर थूकेगे!!
कोई यह न समझना मैं जीवन से नाराज़ हो, रुष्ट हूँ!
ज़िन्दगी ने औकाद दिखा दी, मैं तो बहुत खुश हूँ!!
7 comments:
oh bhai sahab.... gajab....!!!
सोच कर बैठे थे की देखे किस्मे कितना है दम,
पता चला कोई और नहीं हम ही है सबसे कम!!
love this one and the last one....
bahot badia... likhte rahe... :D
thank you Chanz....
It feels good when you appreciate sweety.....
kya baat hai mam..
angreji chhor seedhe hindi par utar aayin..
jazbaaton ke saath saath apne antarman mein bhi jhaank aayin..
zindagi ki sachayi se sabhi ko rubaru kara diya..
sabhi ko zindagi jeene ka saleeka seekha diya..
Ankit- kya baat hai..gazab...
office mein baith kar ab hum log jugalbandi karege...
yaar bahut bahut pyari he ye
Roy-- Thanks a lot. Nice to see u here...do keep visiting and posting your comments...
Very nice! it's reality of life :)
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